छोटी सी कहानी बच्चों के लिए

BEST छोटी सी कहानी बच्चों के लिए 10 छोटी कहानी with Moral

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वर्तमान के समय में हमारे द्वारा लिखे हुए यह प्रेरणादायक मोटिवेशनल कहानियां हैं जो देश, समाज और विश्व के हित में कल्याणकारी भावना को देखते हुए हमारे द्वारा प्रेम, करुणा, दया, सनातन धर्म से प्रेम, मानवता, भक्तिभाव, ईश्वर प्रेम और जानवरों से प्रेम इन सभी भावों को सर्वोपरि रखते हुए हमें एक अच्छे इंसान बनने को प्रेरित करने के उद्देश्य से हम यहाँ पर आपको कुछ बेहतरीन प्रेरणादायक मोटिवेशनल कहानियां बता रहे हैं जिसे आपको पढ़कर अपने जीवन में ग्रहण करके मोह माया से दूर रहकर मोक्ष की प्राप्ति को संभव बना सकें।

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BEST छोटी सी कहानी बच्चों के लिए STORY 1

छोटी सी कहानी बच्चों के लिए

आधुनिकता और टुटते रिस्ते

सुबह के साढ़े सात बजे जब निधि स्कूल के लिए ‌तैयार हुई तो‌ चुपके से ऊपर मम्मी के बेडरूम में ‌ग‌ई।

धीरे से डोर सरकाया तो देखा कि सारा सामान बिखरा पड़ा था। नीचे ड्राइंग रूम में आई। पापा सोफे पर बेसुध सो रहे थे।

अपने रुम में आकर उसने अपनी गुल्लक में से पचास रुपए निकाल कर पॉकेट में रख लिए। बैग उठा कर स्कूल बस पकड़ने के लिए निकलने लगी तो सरोज आई, बोली – “निधि बेटा आलू का परांठा बनाया है खा लो।”

निधि ने मायूस नजरों से सरोज आंटी को देखा और बोली – “नहीं आंटी भूख नहीं है।” सरोज ने जबरदस्ती टिफिन उसके बैग में डाला। निधि स्कूल के ‌लिए निकल गई। सरोज ‌सोचने लगी – ‘ बेचारी छोटी बच्ची ! साहब और मेमसाब के रोज के लडा़ई झगडे से इस तेरह साल की उम्र में ‌कितनी बड़ी हो गई है।’

सरोज पिछले दस सालों से नेहा व नरेश के यहां काम कर रही है। दोनों ‌मल्टीनेशनल कंपनी में ऊंचे ‌पदों पर कार्यरत हैं।

निधि उनकी इकलौती बेटी है। किसी भी चीज की कोई कमी नहीं है पर हर समय दोनों एक दूसरे से लड़ते रहते हैं।

नरेश पिछले कुछ समय से नेहा से तलाक चाह रहा है और चाहता है निधि की जिम्मेदारी नेहा उठाए और नेहा निधि की जिम्मेदारी ‌नरेश को देने के साथ जायदाद में हिस्सा चाहती है। इस कारण दोनों ‌लड़ते रहते हैं।

बच्चे की जिम्मेदारी कोई नहीं लेना चाहता। इसलिए दोनों एक दूसरे के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल ‌करते हैं। बेचारी निधि ‌स्कूल से घर आकर अपने कमरे में ‌दुबक जाती है। केवल सरोज आंटी ‌से ही‌‌ बात करती है।

रोज‌ की तरह नेहा और नरेश ने नाश्ता ‌अपने अपने कमरे में किया और ऑफिस के लिए निकल गये। करीब बारह बजे स्कूल से कॉल आया कि जल्दी हास्पिटल पहुंचो निधि को चोट‌ आई है।

हास्पिटल पहुंच कर पता चला कि निधि बहुत ऊपर से सीढ़ियों से गिर गई है। आईसीयू में रखा गया था।

आपरेशन की तैयारी हो रही थी। सिर में बहुत गहरी चोट आई थी। आपरेशन शुरू हुआ। पर जिंदगी ‌मौत से हार गई। नेहा और नरेश स्तब्ध रह गए ।
उन्हें ऐसा झटका लगा था कि अपनी सुध-बुध ही खो बैठे थे।

निधि की दादी ‌भी आ गई थी। बेटा बहू को देखकर उन्होने नफरत से मुंह फेर लिया।
पूछताछ हुई… टीचर स्टुडेंट्स सभी के बयान लिए गए यही पता चला कि बैलेंस बिगड़ने से नीचे गिर गई। तेरहवां ‌निबटने‌ के बाद नरेश ने अपनी मां को रोकना चाहा पर उन्होंने आंखों में आंसू भर कर कहा- ‘तुम दोनों की खुदगर्जी और जिद मेरी पोती को खा ग‌ई।’

मैं उसे अपने साथ ले जाना चाहती थी पर तुम दोनों ने उसे अपने अहम का मोहरा बना कर उसकी जान ले ली।

तुम दोनों को ‘मैं माफ नहीं कर पाऊंगी’ यह कहकर मां चली गई। सरोज तब से सदमे में थी फिर उसने जैसे तैसे होश संभाला। नरेश और नेहा से कहा मेमसाब मैं अब यहां नहीं रह ‌पाऊंगी।

इस घर की दीवारें मेरी निधि की सिसकियों से भरी हैं। उसे मैंने कभी अपनी गोद में तो कभी छिप कर रोते हुए देखा है।

कभी तो मेरा मन किया कि उसे लेकर भाग जाऊं पर मैं डरपोक थी और ऐसा नहीं कर सकी। अगर चली जाती तो शायद वो आज जिंदा होती।

नरेश और नेहा के पास अब शायद कहने को कुछ नहीं था। जैसे जैसे दिन बीत रहे थे उनका लडा़ई झगड़ा एक अजीब सी बर्फ में तब्दील हो चुका था। उनकी सारी भावनाएं अंदर ‌ही अंदर एक खामोशी अख्तियार कर चुकी थी।

संडे का दिन था। बड़ी मुश्किल से नेहा ने निधि के रूम में जाने की हिम्मत जुटाई थी। महीनों दोनों उसके कमरे में कदम नहीं रखते थे।

कैसे मां बाप थे वो दोनों। उसका रूम, उसका बेड तकिया, उसकी किताबें, उसकी पेंसिल, पैन, स्कूल बैग सब वैसे ही रखा था।

अलमारी खोली तो उसके कपड़े नीचे गिर पड़े उसका हल्का ब्लू नाइट सूट जिसे वह अक्सर पहना करती थी।

नेहा रोते हुए अलमारी से सामान निकालने लगी। तभी उसके‌ हाथ एक ब्लू कलर की डायरी लगी। उसने कांपते हाथों से उसे खोला आगे के कुछ पेज फटे हुए थे।

पेज दर पेज टूटे‌ दिल की दास्तां छोटे छोटे टुकड़ों में दर्ज थी–

‘मम्मी पापा मैं आपको डियर नहीं ‌लिखूंगी क्योंकि “डियर” का मीनिंग प्यारा होता है। पापा आप मम्मी को कहते हो कि तुम्हारी बेटी और मम्मी आप पापा को कहते हो तुम्हारी बेटी। आप दोनों ये क्यों नहीं कहते हो कि ‌हमारी‌ बेटी।’

अगले पेज पर था–
‘पता है जब मैं मामा जी के घर ‌जाती हूं मामा-मामी ‌मुझे बहुत प्यार‌ करते हैं।

मामी अनु को जब प्यार से मेरा बच्चा कहती हैं तो मुझे लगता है कि क्या मैं प्यारी बच्ची नहीं हूं ?

मम्मा मैं तो ‌आपका सारा कहना मानती हूं फिर भी आपने मुझे कभी‌ प्यारी बच्ची नहीं कहा।’

अगले पेज पर था–
‘मम्मी जब मैं बुआ के घर जाती हूं तो बुआ मुझे बहुत प्यार करती है। पर खाना नक्ष की पंसद‌ का बनाती है। मम्मा मुझे भी ‌राजमा बहुत पसंद है। मैंने कहा था कि आप बनाओ पर आपने कहा मुझे मत तंग किया करो। जो खाना है सरोज आंटी को बोला करो। पता है मम्मा मैंने राजमा खाना छोड़ दिया है। अब मन नहीं करता।’

अगले पेज पर था–
‘पापा’ मैं आपके साथ आइसक्रीम खाने जाना चाहती थी पर आपने कहा आपके पास फालतू चीजों के लिए ‌टाइम नहीं है।

पापा जब चीनू मासी और मौसा जी मुझे और विपुल को आइसक्रीम खाने ले जा सकते हैं तो फिर वो क्यों नहीं कहते कि ‌ये सब फालतू चीजें हैं ।

पता है मम्मी मैं अपने घर से दूर जाना चाहती हूं जहां मुझे ये न सुनाई दे कि निधि को ‌मैं नहीं रखूंगी। जहां पापा के चिल्लाने की आवाज न सुनाई दे।

पापा अगर मैं बड़ी होती तो मैं आप दोनों को कभी परेशान नहीं करती मैं खुद ही चली जाती। मैं तो आप दोनों से बहुत प्यार करती हूं। पापा मम्मी ‌आप दोनों मुझे प्यार क्यों नही करते।

एक पेज पर था–
‘आइ लव यू सरोज आंटी, मुझे प्यार करने के लिए। जब मुझे डर लगता है अपने पास सुलाने के लिए। मेरी हर बात सुनने के लिए।’

और अंतिम पेज पर था-
‘दादी आई लव यू आप मुझे यहां से ‌ले ‌जाओ, आइ प्रामिस कभी तंग नहीं करूंगी।’

नेहा डायरी को सीने से लगा कर जोर जोर से रो पड़ी। नरेश भी उसके रोने की आवाज सुनकर आ गया था।

नेहा ने डायरी उसे पकडा़ दी। पेज दर पेज पलटते हुए उसके चेहरे के भाव बदलते जा रहे थे।

वह ‌खुद को संभाल नहीं पाया ‌और जमीन पर बैठ गया। नेहा रोते हुए बोली- “नरेश वो एक्सीडेंट नहीं आत्महत्या थी! सुसाइड था।

जिस रिश्ते को हम बोझ समझते थे उससे हमारी निधि ने हमें आजाद कर‌ दिया। नरेश हम दोनों ने अपनी बच्ची ‌को मार डाला।” नरेश फूट-फूट कर रो पड़ा।

शिक्षा : छोटी कहानी with Moral

“ये कहानी हर उस घर की है जहां मां-बाप बच्चों के ‌सामने लड़ते हैं या घर टूट कर बिखरते हैं और उसका सबसे बड़ा खामियाजा बच्चे भरते हैं। अगर आप अच्छी परवरिश नहीं दे सकते तो आपको बच्चे को जन्म देने का कोई अधिकार नहीं है।

अच्छी परवरिश रुपए- पैसे, सुख-सुविधाओं से नहीं होती। इसका मतलब यह है कि आप बच्चे की भावनात्मक जरूरत के समय उसके कितने करीब हैं।”

आधुनिकता और टुटते रिस्ते (कहानी समाप्त)

।। सदैव प्रसन्न रहिये… जो प्राप्त है… वो पर्याप्त है ।। 

इसे भी पढ़ें 500 Anmol Vachan in Hindi

BEST छोटी कहानी शिक्षा देने वाली STORY 2

छोटी सी कहानी बच्चों के लिए

पैरों के निशान

जन्म से ठीक पहले एक बालक भगवान से कहता है… ” प्रभु आप मुझे नया जन्म मत दीजिये… मुझे पता है पृथ्वी पर बहुत बुरे लोग रहते हैं मैं वहाँ नहीं जाना चाहता।”

और ऐसा कह कर वह उदास होकर बैठ जाता है।

भगवान स्नेह पूर्वक उसके सर पर हाथ फेरते हैं और सृष्टि के नियमानुसार उसे जन्म लेने की महत्ता समझाते हैं।
बालक कुछ देर हठ करता है पर भगवान के बहुत मनाने पर वह नया जन्म लेने को तैयार हो जाता है।

ठीक है प्रभु ! अगर आपकी यही इच्छा है कि मैं मृत लोक में जाऊं तो वही सही पर जाने से पहले आपको मुझे एक वचन देना होगा। ” बालक भगवान से कहता है।

भगवान : बोलो पुत्र तुम क्या चाहते हो ?

बालक : आप वचन दीजिये कि जब तक मैं पृथ्वी पर हूँ तब तक हर एक क्षण आप भी मेरे साथ होंगे।
भगवान :अवश्य ऐसा ही होगा।

बालक : पर पृथ्वी पर तो आप अदृश्य हो जाते हैं भला मैं कैसे जानूंगा कि आप मेरे साथ हैं कि नहीं ?

भगवान : जब भी तुम आँखें बंद करोगे तो तुम्हे दो जोड़ी पैरों के चिन्ह दिखाइये देंगे उन्हें देखकर समझ जाना कि मैं तुम्हारे साथ हूँ।

फिर कुछ ही क्षणो में बालक का जन्म हो जाता है।जन्म के बाद वह संसारिक बातों में पड़कर भगवान से हुए वार्तालाप को भूल जाता है।

पर मरते समय उसे इस बात की याद आती है तो वह भगवान के वचन की पुष्टि करना चाहता है। वह आखें बंद कर अपना जीवन याद करने लगता है।

वह देखता है कि उसे जन्म के समय से ही दो जोड़ी पैरों के निशान दिख रहे हैं परंतु जिस समय वह अपने सबसे बुरे वक़्त से गुजर रहा था उस समय केवल एक जोड़ी पैरों के निशान ही दिखाइये दे रहे थे।

यह देख वह बहुत दुखी हो जाता है कि भगवान ने अपना वचन नही निभाया और उसे तब अकेला छोड़ दिया जब उनकी सबसे अधिक ज़रुरत थी।
मरने के बाद वह भगवान के समक्ष पहुंचा और रूठते हुए बोला …

” प्रभु ! आपने तो कहा था कि आप हर समय मेरे साथ रहेंगे पर मुसीबत के समय मुझे दो की जगह एक जोड़ी ही पैर दिखाई दिए, बताइये आपने उस समय मेरा साथ क्यों छोड़ दिया ?”

भगवान मुस्कुराये और बोले…

पुत्र ! जब तुम घोर विपत्ति से गुजर रहे थे तब मेरा ह्रदय द्रवित हो उठा और मैंने तुम्हे अपनी गोद में उठा लिया इसलिए उस समय तुम्हे सिर्फ मेरे पैरों के चिन्ह दिखायी पड़ रहे थे।

शिक्षा : छोटी कहानी with Moral

“याद रखना चाहिए… बहुत बार हमारे जीवन में बुरा वक़्त आता है कई बार लगता है कि हमारे साथ बहुत बुरा होने वाला है पर जब बाद में हम पीछे मुड़ कर देखते हैं तो पाते हैं कि हमने जितना सोचा था।

उतना बुरा नहीं हुआ क्योंकि शायद यही वो समय होता है जब ईश्वर हम पर सबसे ज्यादा कृपा करता है।
अनजाने में हम सोचते हैं को वो हमारा साथ नहीं दे रहा पर हकीकत में वो हमें अपनी गोद में उठाये होता है।”

पैरों के निशान (कहानी समाप्त)

।। सदैव प्रसन्न रहिये… जो प्राप्त है… वो पर्याप्त है ।।

इसे भी पढ़ें 500 Anmol Vachan in Hindi

BEST छोटी कहानी with Moral, छोटी कहानी हिंदी STORY 2

छोटी सी कहानी बच्चों के लिए

 

प्रेरणा के श्रेष्ठ स्त्रोत

एक बार एक राजा की सेवा से प्रसन्न होकर एक साधू नें उसे एक ताबीज दिया और कहा कि … राजन इसे अपने गले मे डाल लो और जिंदगी में कभी ऐसी परिस्थिति आये कि जब तुम्हे लगे की बस अब तो सब खत्म होने वाला है, परेशानी के भंवर मे अपने को फंसा पाओ कोई प्रकाश की किरण नजर ना आ रही हो, हर तरफ निराशा और हताशा हो तब तुम इस ताबीज को खोल कर इसमें रखे कागज़ को पढ़ना उससे पहले नहीं।

राजा ने वह ताबीज अपने गले मे पहन लिया।
एक बार राजा अपने सैनिकों के साथ शिकार करने घने जंगल मे गया।

एक शेर का पीछा करते करते राजा अपने सैनिकों से अलग हो गया और दुश्मन राजा की सीमा मे प्रवेश कर गया,घना जंगल और सांझ का समय तभी कुछ दुश्मन सैनिकों के घोड़ों की टापों की आवाज राजा को आई और उसने भी अपने घोड़े को एड लगाई।

राजा आगे आगे दुश्मन सैनिक पीछे पीछे! बहुत दूर तक भागने पर भी राजा उन सैनिकों से पीछा नहीं छुडा पाया।

भूख प्यास से बेहाल राजा को तभी घने पेड़ों के बीच मे एक गुफा सी दिखी उसने तुरंत स्वयं और घोड़े को उस गुफा की आड़ मे छुपा लिया और सांस रोक कर बैठ गया। दुश्मन के घोड़ों के पैरों की आवाज धीरे धीरे पास आने लगी।

दुश्मनों से घिरे हुए अकेले राजा को अपना अंत नजर आने लगा, उसे लगा की बस कुछ ही क्षणों में दुश्मन उसे पकड़ कर मौत के घाट उतार देंगे।

वो जिंदगी से निराश हो ही गया था कि उसका हाथ अपने ताबीज पर गया और उसे साधू की बात याद आ गई।

उसने तुरंत ताबीज को खोल कर कागज को बाहर निकाला और पढ़ा। उस पर्ची पर लिखा था… “यह भी कट जाएगा “

राजा को अचानक ही जैसे घोर अन्धकार मे एक ज्योति की किरण दिखी। डूबते को जैसे कोई सहारा मिला । उसे अचानक अपनी आत्मा मे एक अकथनीय शान्ति का अनुभव हुआ।

उसे लगा की सचमुच यह भयावह समय भी कट ही जाएगा, फिर मैं क्यों चिंतित होऊं? अपने प्रभु और अपने पर विश्वास रख उसने स्वयं से कहा की हाँ… यह भी कट जाएगा और हुआ भी यही, दुश्मन के घोड़ों के पैरों की आवाज पास आते आते दूर जाने लगी कुछ समय बाद वहां शांति छा गई।

राजा रात मे गुफा से निकला और किसी तरह अपने राज्य मे वापस आ गया।

शिक्षा : छोटी कहानी with Moral

“दोस्तों… यह सिर्फ किसी राजा की कहानी नहीं है यह हम सब की कहानी है । हम सभी परिस्थिति, काम, तनाव के दवाव में इतने जकड जाते हैं की हमे कुछ सूझता नहीं है।

हमारा डर हम पर हावी होने लगता है। कोई रास्ता, समाधान दूर दूर तक नजर नहीं आता लगने लगता है की बस, अब सब खत्म है।

जब ऐसा हो तो दो मिनट शांति से बेठिये… थोड़ी गहरी गहरी साँसे लीजिये ! अपने आराध्य को याद कीजिये और स्वयं से जोर से कहिये कि… यह भी कट जाएगा । आप देखिएगा एकदम से जादू सा महसूस होगा और आप उस परिस्थिति से उबरने की शक्ति अपने अन्दर महसूस करेंगे।”

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प्रेरणा के श्रेष्ठ स्त्रोत (कहानी समाप्त) 

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BEST छोटी सी कहानी बच्चों के लिए 10 छोटी कहानी with Moral

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