10 जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी BEST प्रेरणादायक मोटिवेशनल कहानी
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वर्तमान के समय में हमारे द्वारा लिखे हुए यह प्रेरणादायक मोटिवेशनल कहानियां हैं जो देश, समाज और विश्व के हित में कल्याणकारी भावना को देखते हुए हमारे द्वारा प्रेम, करुणा, दया, सनातन धर्म से प्रेम, मानवता, भक्तिभाव, ईश्वर प्रेम और जानवरों से प्रेम इन सभी भावों को सर्वोपरि रखते हुए हमें एक अच्छे इंसान बनने को प्रेरित करने के उद्देश्य से हम यहाँ पर आपको कुछ बेहतरीन प्रेरणादायक मोटिवेशनल कहानियां बता रहे हैं जिसे आपको पढ़कर अपने जीवन में ग्रहण करके मोह माया से दूर रहकर मोक्ष की प्राप्ति को संभव बना सकें।
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BEST जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी STORY 1
असंम्भव कुछ नहीं... यदि हम प्रयास करें
एक समय की बात है नयासर राज्य में एक राजा का शासन था। उस राजा के दो बेटे थे उम्मेदसिंह और रघुवीर सिंह। एक बार दोनों राजकुमार जंगल में शिकार करने गए।
रास्ते में एक विशाल नदी थी। दोनों राजकुमारों का मन हुआ कि क्यों ना नदी में नहाया जाये। ये सोच दोनों राजकुमार नदी में नहाने उतरे । लेकिन नदी उनकी अपेक्षा से कहीं ज्यादा गहरी थी।
रघुवीर सिंह तैरते तैरते थोड़ा दूर निकले ही कि एक तेज लहर आई और रघुवीर सिंह को दूर ले गयी।
रघुवीर सिंह डर से अपनी सुध बुध खो बैठा, गहरे पानी में उससे तैरा नहीं जा रहा था अब वो डूबने लगा था।
अपने भाई को बुरी तरह फँसा देख के उम्मेदसिंह जल्दी से नदी से बाहर निकला और एक लकड़ी का बड़ा लट्ठा लिया और अपने भाई रघुवीर सिंह की ओर उछाला।
लेकिन दुर्भागयवश रघुवीर सिंह इतना दूर था कि लकड़ी का लट्ठा उसके हाथ में नहीं आ पा रहा था। इतने में सैनिक वहां पहुँचे और राजकुमार को देखकर सब यही बोलने लगे – अब ये नहीं बच पाएंगे , यहाँ से निकलना नामुनकिन है।
यहाँ तक कि उम्मेदसिंह को भी ये अहसास हो चुका था कि अब रघुवीर सिंह नहीं बच सकता, तेज बहाव में बचना नामुनकिन है, यही सोचकर सबने हथियार डाल दिए और कोई बचाव को आगे नहीं आ रहा था।
काफी समय बीत चुका था, रघुवीर सिंह अब दिखाई भी नही दे रहा था।अभी सभी लोग किनारे पर बैठ कर रघुवीर सिंह का शोक मना रहे थे कि दूर से एक सन्यासी आते हुए नजर आये उनके साथ एक नौजवान भी था। थोड़ा पास आये तो पता चला वो नौजवान रघुवीर सिंह ही था। अब तो सारे लोग खुश हो गए लेकिन हैरानी से वो सब लोग रघुवीर सिंह से पूछने लगे कि तुम तेज बहाव से बचे कैसे ?
सन्यासी ने कहा कि आपके इस सवाल का जवाब मैं देता हूँ… ये बालक तेज बहाव से इसलिए बाहर निकल आया क्यूंकि इसे वहां कोई ये कहने वाला नहीं था कि यहाँ से निकलना नामुनकिन है इसे कोई हताश करने वाला नहीं था इसे कोई हतोत्साहित करने वाला नहीं था।
इसके सामने केवल एक लकड़ी का लट्ठा था और मन में बचने की एक उम्मीद और इसने प्रयत्न जारी रखा और बस इसीलिए ये बच निकला।
शिक्षा :
“दोस्तों हमारी जिंदगी में भी कुछ ऐसा ही होता है जब दूसरे लोग किसी काम को असम्भव कहने लगते हैं तो हम भी अपने हथियार डाल देते हैं क्यूंकि हम भी मान लेते हैं कि ये असम्भव है।
हम अपनी क्षमता का आंकलन दूसरों के कहने से करते हैं। आपके अंदर अपार क्षमताएं हैं किसी के कहने से खुद को कमजोर मत बनाइये।
सोचिये रघुवीर से अगर बार बार कोई बोलता रहता कि यहाँ से निकलना नामुमकिन है तुम नहीं निकल सकते ये असम्भव है तो क्या वो कभी बाहर निकल पाता ? कभी नहीं… उसने स्वयं पे विश्वास रखा, स्वयं पे उम्मीद थी बस इसी उम्मीद और लगातार प्रयास ने उसे बचाया।”
।। सदैव प्रसन्न रहिये… जो प्राप्त है… वो पर्याप्त है ।।
असंम्भव कुछ नहीं… यदि हम प्रयास करें (कहानी समाप्त)
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BEST जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी STORY 2
कोयला और चंदन
चौधरी पहलवान का पूरा जीवन जरूरतमंदों की सहायता के लिए समर्पित हुआ था।
जब उनका अंतिम समय नजदीक आया तो उन्होंने अपने बेटे को पास बुलाया।
बेटा पास आ गया तो उन्होंने उससे कहा, ‘देखो बेटा, मैंने अपना सारा जीवन दुनिया को शिक्षा देने में गुजार दिया।
अब अपने अंतिम समय में मैं तुम्हें कुछ जरूरी बातें बताना चाहता हूं।
लेकिन इससे पहले जरा तुम एक कोयला और चंदन का एक टुकड़ा उठा कर ले लाओ।
बेटे को पहले तो यह बड़ा अटपटा लगा, लेकिन उसने सोचा कि अब पिता का हुक्म है तो यह सब लाना ही होगा।
उसने रसोई घर से कोयले का एक टुकड़ा उठाया। संयोग से घर में चंदन की एक छोटी लकड़ी भी मिल गई।
वह दोनों को लेकर अपने पिता के पास पहुंच गया।उसे आया देख पहलवान बोले, ‘बेटा, अब इन दोनों चीजों को नीचे फेंक दो।’
बेटे ने दोनों चीजें नीचे फेंक दीं और हाथ धोने जाने लगा तो पहलवान बोले, ‘जरा ठहरो बेटा।
मुझे अपने हाथ तो दिखाओ।’ बेटे ने हाथ दिखाए तो वह उसका कोयले वाला हाथ पकड़ कर बोले, ‘देखा तुमने।
कोयला पकड़ते ही हाथ काला हो गया। लेकिन उसे फेंक देने के बाद भी तुम्हारे हाथ में कालिख लगी रह गई। गलत लोगों की संगति ऐसी ही होती है।
उनके साथ रहने पर भी दुख होता है और उनके न रहने पर भी जीवन भर के लिए बदनामी साथ लग जाती है।
दूसरी ओर सज्जनों का संग इस चंदन की लकडी की तरह है जो साथ रहते हैं तो दुनिया भर का ज्ञान मिलता है और उनका साथ छूटने पर भी उनके विचारों की महक जीवन भर बनी रहती है इसलिए हमेशा अच्छे लोगों की संगति में ही रहना।
शिक्षा :
“आप स्वयं विचार करें कि… जीवन हमारा तो सज्जन / दुर्जन संग का निर्णय भी हमारा ही हो!”
।। सदैव प्रसन्न रहिये… जो प्राप्त है… वो पर्याप्त है ।।
कोयला और चंदन (कहानी समाप्त)
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BEST प्रेरणादायक मोटिवेशनल कहानी STORY 3
तीन गुरु
बहुत समय पहले की बात है, किसी नगर में एक बेहद प्रभावशाली महंत रहते थे। उन के पास शिक्षा लेने हेतु दूर दूर से शिष्य आते थे।
एक दिन एक शिष्य ने महंत से सवाल किया… स्वामीजी आपके गुरु कौन है ?
आपने किस गुरु से शिक्षा प्राप्त की है? महंत शिष्य का सवाल सुन मुस्कुराए और बोले… मेरे हजारो गुरु हैं!
यदि मै उनके नाम गिनाने बैठ जाऊ तो शायद महीनों लग जाए। लेकिन फिर भी मै अपने तीन गुरुओं के बारे में तुम्हें जरुर बताऊंगा।
मेरा पहला गुरु था एक चोर…
एक बार में रास्ता भटक गया था और जब दूर किसी गाव में पंहुचा तो बहुत देर हो गयी थी। सब दुकाने और घर बंद हो चुके थे।
लेकिन आख़िरकार मुझे एक आदमी मिला जो एक दीवार में सेंध लगाने की कोशिश कर रहा था।
मैंने उससे पूछा कि मैं कहां ठहर सकता हूं तो वह बोला की आधी रात गए इस समय आपको कहीं कोई भी आसरा मिलना बहुत मुश्किल होगा!
लेकिन आप चाहे तो मेरे साथ आज कि रात ठहर सकते हो।
मैं एक चोर हूं और अगर एक चोर के साथ रहने में आपको कोई परेशानी नहीं है तो आप मेरे साथ रह सकते हैं।
मैं उसके साथ एक रात कि जगह कुछ दिनों तक रह गया! वह हर रात मुझे कहता कि मैं अपने काम पर जाता हूं आप आराम करो… प्रार्थना करो की मुझे चोरी में आज अच्छा धन मिले।
जब वह काम से आता तो मैं उससे पूछता की कुछ मिला तुम्हें? तो वह कहता की आज तो कुछ नहीं मिला पर अगर भगवान ने चाहा तो जल्द ही जरुर कुछ मिलेगा।
वह कभी निराश और उदास नहीं होता था और हमेशा मस्त रहता था।
कुछ दिन बाद मैं उसको धन्यवाद करके वापस अपने घर आ गया।
मुझे ध्यान करते हुए सालों-साल बीत गए तो कई बार ऐसे क्षण आते थे कि मैं बिलकुल हताश और निराश होकर साधना छोड़ लेने की ठान लेता था।
और तब अचानक मुझे उस चोर की याद आती जो रोज कहता था कि भगवान ने चाहा तो जल्द ही कुछ जरुर मिलेगा और इस तरह मैं हमेशा अपना ध्यान में लगता और साधना में लीन रहता।
मेरा दूसरा गुरु एक कुत्ता था…
बहुत गर्मी वाले दिन मैं कही जा रहा था और मैं बहुत प्यासा था और पानी की तलाश में घूम रहा था कि सामने से एक कुत्ता दौड़ता हुआ आया।
वह भी बहुत प्यासा था। पास ही एक नदी थी।
उस कुत्ते ने आगे जाकर नदी में झांका तो उसे एक और कुत्ता पानी में नजर आया जो की उसकी अपनी ही परछाई थी।
कुत्ता उसे देख डर गया। वह परछाई को देखकर भौंकता और पीछे हट जाता लेकिन बहुत प्यास लगने के कारण वह वापस पानी के पास लौट आता।
अंततः अपने डर के बावजूद वह नदी में कूद पड़ा और उसके कूदते ही वह परछाई भी गायब हो गई।
उस कुत्ते के इस साहस को देख मुझे एक बहुत बड़ी सिख मिल गई।
अपने डर के बावजूद व्यक्ति को छलांग लगा लेनी होती है। सफलता उसे ही मिलती है जो व्यक्ति डर का साहस से मुकाबला करता है।
मेरा तीसरा गुरु एक छोटा बच्चा है…
मैं एक गांव से गुजर रहा था कि मैंने देखा एक छोटा बच्चा एक जलती हुई मोमबत्ती पास के किसी मंदिर में रखने जा रहा था। मजाक में ही मैंने उससे पूछा की क्या यह मोमबत्ती तुमने जलाई है?
वह बोला… जी मैंने ही जलाई है। तो मैंने उससे कहा की एक क्षण था जब यह मोमबत्ती बुझी हुई थी और फिर एक क्षण आया जब यह मोमबत्ती जल गई।
क्या तुम मुझे वह स्त्रोत दिखा सकते हो जहां से वह ज्योति आई?
वह बच्चा हँसा और मोमबत्ती को फूंख मारकर बुझाते हुए बोला… अब आपने ज्योति को जाते हुए देखा है। कहां गई वह? आप ही मुझे बताइए।
मेरा अहंकार चकनाचूर हो गया, मेरा ज्ञान जाता रहा। और उस क्षण मुझे अपनी ही मूढ़ता का एहसास हुआ। तब से मैंने कोरे ज्ञान से हाथ धो लिए।
मुझे अपने जीवन में जहाँ से भी कुछ सीखने को मिला मेने उसे ही अपना गुरु समझा।
ज्ञान तो मिल गया परंतु धारण तब हुआ जब मैंने इसे बाँटना शुरू किया।
हर समय हर ओर से सीखने को तैयार रहना।
कभी किसी कि बात का बुरा नहीं मानना चाहिए किसी भी इंसान की कही हुई बात को ठंडे दिमाग से एकांत में बैठकर सोचना चाहिए की उसने क्या कहा और क्यों कहा तब उसकी कही बातों से अपनी कि हुई गलतियों को समझे और अपनी कमियों को दूर करें।
जीवन का हर क्षण, हमें कुछ न कुछ सीखने का मौका देता है। हमें जीवन में हमेशा एक शिष्य बनकर अच्छी बातों को सीखते रहना चाहिए।
यह जीवन हमें आये दिन किसी न किसी रूप में किसी गुरु से मिलाता रहता है यह हम पर निर्भर करता है कि क्या हम उस महंत की तरह एक शिष्य बनकर उस गुरु से मिलने वाली शिक्षा को ग्रहण कर पा रहे हैं की नहीं…!!!
शिक्षा :
“जीवन में कभी निराश और उदास नहीं होना चाहिए और आपको कोई रास्ता नहीं दिख रहा है तो हमेशा ईश्वर को याद करते हुए उनका नाम जप करें इससे आपको शांति मिलेगी जिससे आप अपना दुख भूलकर अपने काम को पुनः नए ऊर्जा से कर पाएंगे कभी न कभी आपको सफलता मिलेगी ही।”
।। सदैव प्रसन्न रहिये जो प्राप्त है… वो पर्याप्त है ।।
तीन गुरु (कहानी समाप्त)
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BEST सोच बदलने वाली कहानी STORY 4
राजा भोज का प्रश्नन
एक बार राजा भोज के दरबार में एक सवाल उठा कि ऐसा कौन सा कुआं है जिसमें गिरने के बाद व्यक्ति बाहर नहीं निकल पाता?
ऐसा कौन सा कुआं है जिसमें गिरने के बाद आदमी बाहर नहीं निकल पाता?
इस प्रश्न का उत्तर कोई नहीं दे पाया।
आखिर में राजा भोज ने राज पंडित से कहा कि इस प्रश्न का उत्तर सात दिनों के अन्दर लेकर आओ वरना आपको अभी तक जो भेंट धन आदि दिया गया है वापस ले लिए जायेंगे तथा इस नगरी को छोड़कर दूसरी जगह जाना होगा।
छः दिन बीत चुके थे।
राज पंडित को उत्तर नहीं मिला था निराश होकर वह जंगल की और गया।
वहां उसकी भेंट एक गड़रिए से हुई।
गड़रिए ने पूछा – “आप तो राजपंडित हैं राजा के दुलारे हो फिर चेहरे पर इतनी उदासी क्यों?
यह गड़रिया मेरा क्या मार्गदर्शन करेगा सोचकर पंडित ने कुछ नहीं कहा।
इस पर गड़रिए ने पुनः उदासी का कारण पूछते हुए कहा –
“पंडित जी हम भी सत्संगी हैं हो सकता है आपके प्रश्न का जवाब मेरे पास हो अतः नि:संकोच कहिए।”
राज पंडित ने प्रश्न बता दिया और कहा कि अगर कल तक प्रश्न का उत्तर नहीं मिला तो राजा नगर से निकाल देगा।
गड़रिया बोला – मेरे पास पारस है उससे खूब सोना बनाओ।
एक भोज क्या लाखों भोज तेरे पीछे घूमेंगे।
बस… पारस देने से पहले मेरी एक शर्त माननी होगी कि तुझे मेरा चेला बनना पड़ेगा।
राजपंडित के अन्दर पहले तो अहंकार जागा कि दो कौड़ी के गड़रिए का चेला बनूँ?
लेकिन स्वार्थ पूर्ति हेतु चेला बनने के लिए तैयार हो गया।
गड़रिया बोला – पहले भेड़ का दूध पीओ फिर चेले बनो।
राजपंडित ने कहा कि यदि ब्राह्मण भेड़ का दूध पीयेगा तो उसकी बुद्धि मारी जायेगी। मैं दूध नहीं पीऊंगा।
तो जाओ… मैं पारस नहीं दूंगा – गड़रिया बोला।
राज पंडित बोला – “ठीक है,दूध पीने को तैयार हूँ आगे क्या करना है?”
गड़रिया बोला – “अब तो पहले मैं दूध को झूठा करूंगा फिर तुम्हें पीना पड़ेगा।”
राजपंडित ने कहा – “तू तो हद करता है! ब्राह्मण को झूठा पिलायेगा?” तो जाओ… गड़रिया बोला।
राज पंडित बोला – “मैं तैयार हूँ झूठा दूध पीने को।”
गड़रिया बोला – “वह बात गयी।अब तो सामने जो मरे हुए इन्सान की खोपड़ी का कंकाल पड़ा है, उसमें मैं दूध दोहूंगा, उसको झूठा करूंगा फिर तुम्हें पिलाऊंगा।
तब मिलेगा पारस नहीं तो अपना रास्ता लीजिए।
राजपंडित ने खूब विचार कर कहा – “है तो बड़ा कठिन लेकिन मैं तैयार हूँ।
गड़रिया बोला – मिल गया जवाब…
यही तो कुआँ है लोभ का तृष्णा का जिसमें आदमी गिरता जाता है और फिर कभी नहीं निकलता।
जैसे कि तुम पारस को पाने के लिए इस लोभ रूपी कुएं में गिरते चले गए…
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शिक्षा :
“लालच से आज तक किसी का भला नहीं हुआ है और ना आगे भी कभी होगा… कर भला तो हो भला।”
।। सदैव प्रसन्न रहिये जो प्राप्त है, वो पर्याप्त है ।।
राजा भोज का प्रश्नन (कहानी समाप्त)
♨️ BEST जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी ♨️ STORY 5
सम्पति का बंटवारा
भाई-भाई “विपत्ति” बांटने के लिए होते हैं न की “सम्पति” का बंटवारा करने के लिए… राम लखन भरत भाईयों का बचपन का एक प्रसंग!
जब ये लोग गेंद खेलते थे तो लक्ष्मण राम की साइड उनके पीछे होता था और सामने वाले पाले में भरत शत्रुघ्न होते थे।
तब लक्ष्मण हमेशा भरत को बोलते राम भैया सबसे ज्यादा मुझे प्यार करते है तभी वो हर बार अपने पाले में अपने साथ मुझे रखते हैं लेकिन भरत कहते नहीं राम भैया सबसे ज्यादा मुझे प्यार करते हैं तभी वो मुझे सामने वाले पाले में रखते हैं।
ताकि हर पल उनकी नजरें मेरे ऊपर रहे वो मुझे हर पल देख पाए क्योंकि साथ वाले को देखने के लिए तो उनको मुड़ना पड़ेगा।
फिर जब भरत गेंद को राम की तरफ उछालते तो राम जानबूझ कर गेंद को छोड़ देते और हार जाते फिर पूरे नगर में उपहार और मिठाईयां बांटते खुशी मनाते।
सब पूछते राम जी आप तो हार गए फिर आप इतने खुश क्यों है राम बोलते मेरा भरत जीत गया। फिर लोग सोचते जब हारने वाला इतना कुछ बांट रहा है तो जीतने वाला भाई तो पता नहीं क्या – क्या देगा?
लोग भरत जी के पास जाते हैं लेकिन ये क्या भरत तो लंबे लंबे आंसू बहाते हुए रो रहे हैं। लोगो ने पूछा – भरत जी आप तो जीत गए है फिर आप क्यों रो रहे है?
भरत बोले – देखिये मेरी कैसी विडंबना है मैं जब भी अपने प्रभु के सामने होता हूँ तभी जीत जाता हूँ।
मैं उनसे जीतना नहीं मैं उनको अपना सब हारना चाहता हूं। मैं खुद को हार कर उनको जीतना चाहता हूँ।
इसलिए कहते हैं भक्त का कल्याण भगवान को अपना सब कुछ हारने में है सब कुछ समर्पण करके ही हम भगवान को पा सकते हैं।
एक भाई दूसरे भाई को जीताकर खुश है। दूसरा भाई अपने भाई से जीतकर दुखी है इसलिए कहते हैं खुशी लेने में नही देने में है।
जिस घर मे भाई – भाई मिल कर रहते हैं। भाई – भाई एक दूसरे का हक नहीं छीनते उसी घर मे राम का वास है।जहां बड़ो की इज्जत है बड़ों की आज्ञा का पालन होता है वहीं राम है।
जब एक भाई ने दूसरे भाई के लिए हक छोड़ा तो रामायण लिखी गयी और जब एक भाई ने दूसरे भाई का हक मारा तो महाभारत हुई।
इसलिए असली खुशी देने में है छीनने में नहीं। हमें कभी किसी का हक नहीं छीनना चाहिए न ही झूठ व बेईमानी का सहारा लेना चाहिए।
जो भी काम करें उसमें सत्य निष्ठा हो यही सच्चा जीवन है। यही राम कथा का सार है।
शिक्षा :
“लालच से आज तक किसी का भला नहीं हुआ है और ना आगे भी कभी होगा… कर भला तो हो भला।”
आपको यह जानना चाहिए कि लालच ने हमेशा से लोगों को बर्बाद ही किया।
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सम्पति का बंटवारा (कहानी समाप्त)
10 जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी
वर्तमान के समय में हमारे द्वारा लिखे हुए यह प्रेरणादायक मोटिवेशनल कहानियां हैं जो देश, समाज और विश्व के हित में कल्याणकारी भावना को देखते हुए हमारे द्वारा प्रेम, करुणा, दया, सनातन धर्म से प्रेम, मानवता, भक्तिभाव, ईश्वर प्रेम और जानवरों से प्रेम इन सभी भावों को सर्वोपरि रखते हुए हमें एक अच्छे इंसान बनने को प्रेरित करने के उद्देश्य से हम यहाँ पर आपको कुछ बेहतरीन प्रेरणादायक मोटिवेशनल कहानियां बता रहे हैं जिसे आपको पढ़कर अपने जीवन में ग्रहण करके मोह माया से दूर रहकर मोक्ष की प्राप्ति को संभव बना सकें।
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